Art of Women Empowerment | अपने हाथ लिखी तकदीर

Rich and traditional Indian art forms can become a permanent source of livelihood to numerous women even in modern times! Aakriti Art Creations, started by national award winner, Suman Sonthalia, over two decades back, is a case in the point. Traditional art forms seem to be diminishing by day. But fusion of various traditional art forms are there. We may see Madhubani Paintings from Bihar, Warli art from Maharashtra, Dhokra art from Chhattishgarh. They are done artistically and profitably in this institution. These art forms are, resultantly, turned into various wonderful hand-painted terracotta pottery, clocks, everyday utility items. There is a wide range of attractive furniture. An artistic and unique journey full of courage and passion! An endeavor facilitating women empowerment.

‘आकृति’ एक मिसाल

भारत की पारंपरिक कलाकृतियों और हुनर के दम पर एक सफल व्यवसाय किया जा सकता है। यही नहीं हस्त शिल्प कला के ज़रिए नारी सशक्तिकरण के नारे को भी मूर्त रुप दिया जा सकता है। जी हाँ, दिल्ली से सटे ग़ाज़ियाबाद स्थित आकृति आर्ट क्रिएशंस की महिलाओं ने ये साबित कर दिखाया है! इन महिलाओं के काम का डंका हस्त शिल्प कला के क्षेत्र में देश-विदेश में बज रहा है। कमाल की बात ये कि एक आम घरेलू महिला, सुमन सोंथालिया ने बीस साल पहले, महज़ सात हज़ार रुपये से आकृति आर्ट क्रिएशंस की शुरुआत की थी। तब इनके साथ महज दो घरेलु महिलाएँ काम करती थी और आज ढाई सौ से ज्यादा महिलाएँ यहां प्रत्यक्ष तौर पर काम  करती हैं। आज इस संस्था का सालाना कारोबार करोड़ों रुपयों का है।

यहाँ काम करने वाली वैसी महिलाएँ हैं जो कभी हर लिहाज से उपेक्षित ज़िन्दगी जी रही थीं। पहले इन्हें हस्तशिल्प कला का प्रशिक्षण दिया जाता है, फिर उन्हें निपुण बना कर वहीं रोज़गार भी उपलब्ध कराया जाता हैं। उनके हर सुख-दुख का ख़्याल रखा जाता है। संस्था की ओर से बिहार, छत्तीसगढ़, बंगाल, उड़ीसा, महाराष्ट्र के सुदूर ग्रामीण इलाकों में भी जाकर वहां की हज़ारों महिलाओं को भी प्रशिक्षित किया गया जो आज किसी न किसी रुप में आकृति से जुड़ी हुई हैं। क्ले आर्ट, मेटल आर्ट, ढोकरा, मधुबनी पेंटिंग, मांडना, कलमकारी, गोंड, कास्तकारी, ग्लास आर्ट, फाइबर आर्ट और जुलरी जैसे तमाम तरह के कलात्मक कार्यों के ज़रिए ये महिलाएँ आज इतिहास रच रही हैं। नारी सशक्तिकरण का इतिहास रचने वाली सुमन सोंथालिया को राष्ट्रीय पुरस्कार से भी नवाज़ा गया।

इन सब से साफ़ है कि गृहणियाँ भी अपनी मेहनत, जुनून और हुनर से एक अलग मुकाम हासिल कर सकती हैं, अपनी आजीविका का पक्का ज़रिया खुद बना सकती हैं! इनकी उपलब्धि, इनका काम वाकई कमाल है! बेमिसाल है!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *