Hydroponics : Agriculture Without Soil

खेती बिना मिट्टी : ग़ज़ब की हाइड्रोपोनिक्स तकनीक

पौधों के लिए ज़रूरी होता है खाद-पानी, ज़रूरी होती है मिट्टी। बगैर सूर्य के प्रकाश के तो हम जीव का अस्तित्व ही नहीं सोच सकते। मगर हम बात कर रहे हैं ऐसे तरीके की, जिसमें फल, फूल और सब्ज़ियां सबकुछ उगायी जाती हैं लेकिन मिट्टी के बिना।

क्या ये मुमकिन है? बिल्कुल मुमकिन है क्योंकि मिट्टी का पौधों के लिए मतलब पोषक तत्व होता है। ये पोषक तत्व चाहे हम किसी और तरीके से पौधों को क्यों न दें। उनका फलना-फूलना जारी रह सकता है। इसी तकनीक का नाम है हाइड्रोपोनिक। ‘हाइड्रो’ का मतलब है पानी और ‘पोनोस’ का अर्थ है कार्य। 

हाइड्रोपोनिक्स तकनीक में एक विशेष प्रकार का घोल पौधों में डाला जाता है। इसमें आवश्यक खनिज एवं पोषक तत्व मिला दिए जाते हैं। दरअसल इस घोल की कुछेक बूंदें ही उन पौधों को दी जाती हैं जो पानी, कंकड़ या बालू आदि में उगाए जाते हैं। इन बूंदों के जरिए नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटैशियम, मैगनीशियम, कैल्सियम, सल्फर, जिंक और आयरन जैसे तत्व ख़ास अनुपात में पौधों तक पहुंच जाते हैं।

हाइड्रोपोनिक्स तकनीक इतनी प्रचलित हो चुकी है अब पश्चिम के देश फसल उत्पादन के लिए भी इसका इस्तेमाल करने लगे हैं। हमारे देश मे भी इस तकनीक का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है। पंजाब में हाइड्रोपोनिक्स तकनीक से ही आलू उगाया जा रहा है।

दिल्ली निवासी सुरजीत ऐसे खुशनसीब लोगों में हैं जिन्होंने हाइड्रोपोनिक्स तकनीक को न सिर्फ समझा है बल्कि उसके फायदों से भी वे जुड़ चुके हैं। उन्हें ये तकनीक उनके बच्चों से मिली है जिन्होंने बैंकॉक से इस तकनीक से बने पौधे बतौर गिफ्ट भेजे थे। 

बेहद कम ख़र्च में पौधे और फसलों का उत्पादन सम्भव हो जाता है

5 से 8 इंच ऊंचाई वाले पौधों पर प्रति वर्ष एक रुपये से भी कम ख़र्च आता है। 

पोषक तत्व युक्त घोल पौधों में महीने में सिर्फ एक या दो बार डालने की जरूरत है।

पौधों को कहीं भी उगाया जा सकता है।

बागवानी पर पानी का खर्च 80 फीसदी घट जाता है।

छतों पर भी शाक-सब्जियां उगाना आसान है।

न कीटनाशक की ज़रूरत, बीमारी का डर होता है।

हाइड्रोपोनिक्स तकनीक में इतनी खूबियों के बावजूद इसकी लोकप्रियता उम्मीद के हिसाब से नहीं बढ़ी हैं तो इसकी वजह भी कम नहीं हैं। दरअसल यह तकनीक शुरुआती खर्च मांगती है। बाद में उत्पादन सस्ता पड़ने लगता है। 

एक और कारण ये है कि पानी को रीसाइकिल करने के लिए बिना रुकावट बिजली की आवश्यकता होती है। बिजली की यह ज़रूरत कोई छोटी ज़रूरत नहीं है। 

देश के लोग इस तकनीक के बारे में नहीं जानते। यह लोकप्रिय नहीं हो सका है। लेकिन, जैसे-जैसे इस तकनीक का व्यावसायिक इस्तेमाल बढ़ेगा, इसकी लोकप्रियता भी बढ़ती चली जाएगी।

हाइड्रोपोनिक्स तकनीक की सफलता के कई और भी कारण हैं

इस तकनीक से पैदा होने वाली सब्जियों-फलों या अनाज में कीटनाशक नहीं होते

स्वास्थ्य और पोषक तत्वों के नज़रिए से भी ये फायदेमंद होते हैं

मच्छर, कीड़े और दूसरे तरह के जीवाणु इस विधि में नदारद रहते हैं क्योंकि मिट्टी नहीं रहती

सुरजीत और उनके परिवार ने हाइड्रोपोनिक खेती को एक शौक के तौर पर शुरू किया था लेकिन अब यह उनके लिए सबसे प्यारा काम बन गया है। 

हाइड्रोपोनिक्स तकनीक में जादू है। यह तकनीक देश की कृषि व्यवस्था के लिए वरदान साबित होने वाली है। सब्जी से लेकर अनाज तक के उत्पादन में यह तकनीक क्रांतिकारी साबित होने वाली है। खासकर उन इलाकों के लिए तो ये वरदान है जहां पानी की कमी है। इन्हीं खासियत की वजह से यह तकनीक कमाल की है। जी हां, हाइड्रोपोनिक्स तकनीक..है न कमाल की बात।