The Sumptuous Dadi Ki Rasoi : Fight Against Hunger

कमाल की है ‘दादी की रसोई’ : पेट भी भरता है मन भी

‘दादी की रसोई’ अब सिर्फ अपने पोते-पोतियों तक सीमित नहीं रही। खन्ना परिवार ने इसे ग्लोबल बना दिया है। हर कोई जो भूखा है, यहां की थाली चट कर सकता है। बदले में देने होते हैं बस 5 रुपये, जो निश्चित रूप से ‘दादी की रसोई’ को रफ्तार देने में काम आते हैं। 

उत्तर प्रदेश के नोएडा में तकरीबन मुफ्त की दादी की रसोई सबके लिए उपलब्ध है। समाजसेवी अनूप खन्ना इस रसोई के किंग हैं जिनकी प्रेरणा खुद उनकी दादी रही हैं। खन्ना बताते हैं कि ‘दादी की रसोई’ का ख्याल दरअसल उनके मन में उनकी दादी ने ही दिया था जिन्होंने केवल खिचड़ी पर गुजारा करते हुए अपनी बचत से दूसरों का पेट भरना सिखाया था। 

अनूप खन्ना की प्रेरणा उनकी दादी जरूर रहीं, लेकिन दादीजी की प्रेरणा तो निश्चित रूप से भूख से तड़पते लोगों की आत्मा की तृप्ति ही रही होगी…वो भूख जिससे दुनिया में हर दिन 20 हज़ार बच्चे मरते हैं…भुखमरी के इंडेक्स में भारत 100वें नम्बर पर है, एशियाई देशों में भारत से नेपाल और बांग्लादेश भी आगे हैं। 

ऐसे में अगर नोएडा के सेक्टर 29 स्थित गंगा शॉपिंग कॉम्पलेक्स में ‘दादी की रसोई’ पहुंच कर महज 5 रुपये में स्वादिष्ट थाली मिल जाती हो, तो यह हिन्दुस्तान के लिए प्रेरणा की ही बात है। 500 से ज्यादा लोग ‘दादी की रसोई’ में रोजाना भोजन करते हैं। यह ‘दादी की रसोई’ अगस्त 2015 से चल रही है। 

इस रसोई के किंग अनूप खन्ना जरूरतमंदों को भोजन के साथ-साथ दस रुपये में कपड़े और दवाएं भी उपलब्ध कराते हैं। अनूप खन्ना का प्रधानमंत्री जनऔषधि केंद्र भी चर्चित हो चुका है।  पेट के साथ-साथ बीमारी की भी चिन्ता यहां आकर दूर हो जाती है।

‘दादी की रसोई’ का मेन्यु रोजाना बदलता है। यहां रोज ताजी व हरी सब्जियों के साथ बासमती चावल का ही इस्तेमाल होता है। साफ-सफाई के साथ-साथ गुणवत्ता यहां की खासियत है। यही कारण है कि लोग ‘दादी की रसोई’ के खाने की तारीफ करते नहीं थकते। कुछ तो सालों से यहां खाना खा रहे हैं। हर तबके के लोग यहां खाना खाते हैं फिर चाहे वो आफिस में काम करने वाले हों, मजदूरी करने वाले हों, स्कूली बच्चे हों या रिक्शावाले हों। इस लिहाज से इसे भोजन वाला मंदिर या फूड टेम्पल भी कहा  जा सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *