Amazing Transport Museum | ट्रांसपोर्ट म्यूज़ियम

Amazing Transport Museum! Passion does wonders to creativity, as is reflected in this highly innovative set up of Tarun Thakral! It happens to be India’s first Heritage Transport Museum, located in Gurugram, close to Delhi.

One can experience history of Indian transport system in this unique museum. Thakral had started this collection of different modes of transport over two decades back, in 1994.

It has around an area of one lakh square feet. Here visitors will find age old palanquins, bullock carts, pre-mechanized cars as well as classic vintage cars.

Other than these a collection of modern cars they can get- all under one roof! Including the red car seen in an all time favourite Hindi movie Dil To Pagal Hai! This transport museum takes you on a nostalgic and informative ride like never before!

ट्रान्सपोर्ट म्यूज़ियम

देश भर में म्यूज़ियम या संग्रहालय तो अनगिनत हैं। पर Heritage Transport Museum अनूठा है। यह राजधानी दिल्ली के समीप गुरुग्राम-तावड़ू में स्थित है। तरुण ठकराल के जुनून ने इस संग्रहालय के ज़रिए भारतीय यातायात की नयी तस्वीर पेश की है। इसके इतिहास को ज़माने के सामने इस म्यूज़ियम ने पेश किया है। तरुण ने इस म्यूज़ियम में रखी गाड़ियों को 1994 से एकत्रित करना शुरू किया। म्यूज़ियम धीरे-धीरे ख़ूबसूरत शक्ल लेता गया।

साल 2013 में इसे आम लोगों के लिए खोल दिया गया। एक लाख वर्ग फुट का क्षेत्रफल है। चार मंज़िला यह संग्रहालय कई वजहों से ख़ास है। यहां पारम्परिक पालकी, ताँगा, बैलगाड़ी, रथ, नाव और 100 से ज़्यादा क्लासिक और विंटेज कार हैं। इसके अलावा कई अन्य pre mechanized और heavy mechanised vehicles रखे गए हैं। इसके अलावा काफ़ी पुराना रेल इंजन, कोलकाता का ट्राम, पुराने स्कूटर, मोटर बाइक्स, ओल्ड लमोजींन कार भी आप देख सकते हैं। तीन पहिए वाली बादल कार सहित कई अन्य ऐतिहासिक गाड़ियाँ आपको यहां देखने को मिल जाएंगी।

दिल तो पागल है फिल्म वाली शाहरुख़ ख़ान खान की लाल गाड़ी भी यहाँ आपको खड़ी दिखेगी। इतना ही नहीं, दूसरे विश्व युद्ध के दौरान पॉयलटों को प्रशिक्षित करने के लिए इस्तेमाल हुआ Piper Cub J3c एअरक्राफ्ट भी यहाँ मौजूद है। वहीं 1930 का रेलवे सलून भी यहां आपको देखने को मिलेगा।

इस सलून का इस्तेमाल जोधपुर के राजा किया करते थे। और तो और सिन्धु घाटी सभ्यता के दौरान का पहिया लगा एक खिलौना भी इस ट्रांसपोर्ट म्यूज़ियम में है। म्यूज़ियम में सिक्कों से सजी एक पुरानी पर नायाब फोर्ड कार भी आपको देखने को मिलेगी जो बरबस ही आपका ध्यान आकर्षित कर लेगी।

म्यूज़ियम को बड़ी ही शानदार और कलात्मक तरीके से सजाया गया है। गाड़ियों के पार्ट पुर्ज़ों के इस्तेमाल से बनी कई ऐसी चीज़ें भी यहां आपको देखने को मिलेगी जिसे देखकर आप ये कहे बग़ैर नहीं रहेंगे – वाह! पहले ऐसा कभी नहीं देखा! मसलन साइकिल के रिम्स से बना सोफा, पुरानी मोरिस कार से बना रिसेप्शन काउंटर आदि।

तरुण ठकराल के पास अपनी एक कार्यशाला भी है जहां वो पुरानी गाड़ियों को नया रूप देते हैं। इस म्यूज़ियम को भारत सरकार की ओर से most innovative project in the country यानि देश में पर्यटन क्षेत्र का सर्वाधिक रचनात्मक उपक्रम भी घोषित किया गया है। ये म्यूज़ियम वाकई लाजवाब है! कमाल है!

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