World fastest typing । amazing Typist

Vinod Kumar Chaudhary is an amazing Typist. It is his profession as well as passion!  VK  has graduated from traditional typewriters. He tried different and changed his skill on to computer keyboards. He has been trying out something different. His thinking is always out of the box!

Vinod has four consecutive world records in typing. Blindfolded Typing is his extraordinary properties. He types using his own nose and, Even he types with a single stick in his mouth. Even he types with a single hand and yet the fastest in the world! This kind of amazing typist is Vinod.

गिनिज़ बुक में टाइपिस्ट

दिल्ली में नांगलोई के रहने वाले हैं विनोद कुमार चौधरी। उनके नाम कई अनूठे विश्व कीर्तिमान दर्ज हैं। गरीब परिवार में जन्मे सरल स्वभाव के विनोद में गजब का हुनर है।  कंप्यूटर पर अलग-अलग तरीके से टाइपिंग उनका जुनून है। ऐसा जुनून कि उन्होंने चार विश्व कीर्तिमान स्थापित कर डाले। विनोद ने ये साबित कर दिखाया कि दुनिया में कुछ भी नामुमकिन नहीं, बशर्ते कुछ कर गुज़रने का जुनून हो। इनके नाम कुल चार कीर्तिमान गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज़ हैं।

103 अक्षरों की टाइपिंग का विश्व रिकॉर्ड

विनोद के नाम नाक से सबसे तेज़ टाइपिंग का रिकॉर्ड है। छियालिस सेकेंड्स के अंदर उन्होंने 103 अक्षरों की टाइपिंग कर ये कीर्तिमान बनाया।  हालांकि ये रिकॉर्ड अब हैदराबाद के खुर्शीद हुसैन नामक शख्स ने तोड़ दिया है।

दूसरा वर्ल्ड रिकॉर्ड विनोद चौधरी ने आखों पर पट्टी बांधकर बनाया। महज़ 6.71 सेकेंड्स में ए टू ज़ेड (A-Z with space) टाइप कर उन्होंने ये  उपलब्धि हासिल की।

तीसरा विश्वकीर्तिमान सिर्फ एक हाथ के इस्तेमाल से टाइपिंग कर बनाया। सबसे तेज़ यानी महज़ 6.9 सेकेंड्स में alphabet( A-Z) टाइप करके विनोद ने ये उपलब्धि हासिल की।

चौथा विश्व कीर्तिमान विनोद ने मुंह में स्टिक रख कर टाइपिंग करते हुए बनाया। मुंह से स्टिक के सहारे महज़ 18.65 सेकेंड्स में alphabet ( A-Z with space) टाइप करके विनोद ने यह वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया।

गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ने चौथे विश्वकीर्तिमान को भी मान्यता दे दी है।  इसका प्रमाण पत्र अब उन्हें मिलने वाला है।

बेहतरीन धावक भी हैं विनोद

विनोद अड़तीस साल की उम्र में भी एक फिट धावक हैं। मिल्खा सिंह को अपना आदर्श मानने वाले विनोद का अगला सपना मास्टर एथलेटिक चैंंपियनशिप जीतना है। यह कारनामा वे अपने आयु वर्ग में 100 मीटर दौड़ लगाकर करना चाहते हैं।  वो आगे चलकर वर्ल्ड एथलेटिक चैंपियनशिप में सबसे तेज़ धावक बनना चाहते हैं। इसके लिए विनोद खूब पसीना बहा रहे हैं। विनोद मानते हैं कि इंसान की सोच सकारात्मक होनी चाहिए और नीति व नीयत साफ रहनी चाहिए।

हॉकर भी रह चुके हैं विनोद

कभी न्यूज़ पेपर बांटने, मज़दूरी करने और कूरियर पहुंचाने का काम भी कर चुके हैं विनोद। फिलहाल वे जेएनयू में कार्यरत हैं। वे यहां अस्थायी कंप्यूटर ऑपरेटर के तौर पर मासिक पंद्रह हज़ार की पगार पाते हैं। घर में बच्चों को कंप्यूटर और टाइपिंग भी वे सिखाते हैं। उनकी उपलब्धियों और जुनून के सभी कायल हैं। विनोद को पूरा भरोसा है कि अभी कई और कीर्तिमान उनके नाम गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज़ होने बाकी हैं। सरकार उनकी सुध ले या न ले, वे देश का नाम रौशन करते रहेंगे। विनोद का जज़्बा और जुनून वाकई कमाल है! विनोद के जज़्बे को सलाम!

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