Inspirational Amit | रोल मॉडल अमित

Inspirational Amit! An inspiration to all Indians. Exceptional grit & compassion makes Amit Kumar Das an inspiration. Not just in Araria & Bihar, but also in entire Australia & India! This outstanding story is not just because that the hero is a Multi million dollar businessman in Australia. The son of an ordinary farmer in Bihar goes through the grind and struggle to get success in life.

Fact is that he has been ploughing his hard earned money back into his hometown, Farbisganj in Bihar! This is unique. MBIT is a sparkling testimony of the same! This world class engineering college is helping local youth pursue their dreams of becoming an engineer. It is creating numerous employment opportunities in the area. It is also making Amit a businessman who is role model. So, he is Inspirational and called Inspirational Amit!

अमित-एक प्रेरणा स्रोत

एक युवा कर्मठ उद्यमी अमित कुमार दास अपनी मातृभूमि फ़ारबिसगंज को सँवारने में जुटा है। फ़ारबिससगंज – बिहार में अररिया ज़िले का एक सुदूर क़स्बा। नेपाल बॉर्डर के पास का एक पिछड़ा इलाक़ा, जहाँ अमित की बदौलत आज सकारात्मक बदलाव की बयार बह रही है। एक साधारण किसान परिवार में जन्में अमित, पूरे इलाके की तस्वीर और तकदीर बदलने की कोशिश में जुटे हैं।

पहले वो ख़ुद इस क़स्बे के मिरदौल गाँव वाले सरकारी स्कूल से पढ़ कर पटना, फिर पटना से दिल्ली आते हैं। दिल्ली में कड़ा संघर्ष करते हुए कंप्यूटर सीखते हैं और सॉफ्टवेयर कंपनी खोलते हैं। तब जाकर ऑस्ट्रेलिया पहुँचते हैं और वहाँ कड़ी मेहनत के बल पर खुद को और अपनी कंपनी को स्थापित करते हैं। फिर अमित ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा।

पैसा, शोहरत और रुतबा सब उनके पीछे-पीछे। अमित अब सिडनी में ही रहते हैं। लेकिन अपनी जन्मभूमि और मातृभूमि का ऋण चुकाने वो फ़ारबिसगंज आते रहते हैं। इस अति पिछड़े इलाक़े में MBIT – यानि मोती बाबू इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी नामक एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर का इंजीनियरिंग कॉलेज खोल कर अमित ने फ़ारबिसगंज और बिहारवासियों को बड़ा तोहफ़ा दिया है।

इलाक़े के प्रतिभाशाली विद्यार्थियों का पलायन (माइग्रेशन) रोक पाने में काफी हद तक सफल हुए अमित, शिक्षा के क्षेत्र में बिहार के गौरवशाली अतीत को वापस लाना चाहते हैं। विश्वविख्यात नालंदा विश्वविद्यालय के काल-खण्ड की भाँति। अमित कम पैसे में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मुहैया करा कर बिहार के प्रतिभाशाली गुदड़ी के लालों को बेहतर इंजीनियर और देश का सफल नागरिक बनाना चाहते हैं। आज अमित के इस भगीरथ प्रयास से कॉलेज में सैकड़ों स्थानीय लोगों को सम्मानजनक नौकरी भी मिली है।

क़ाबिल-ए-ग़ौर है, कि जिन मजबूरियों और परेशानियों की वजह से अमित ख़ुद इंजीनियर नहीं बन पाए, वैसे हालात इलाक़े की अगली पीढ़ी को न झेलनी पड़े इसीलिए अमित ने अपने पिता के नाम पर ज्ञान की ये इमारत खड़ी की। अमित का मानना है कि हर इंसान में अपने गांव, समाज और देश को कुछ देने की चाहत होनी चाहिए।

अपने इलाक़े की तरक़्क़ी के लिए सिर्फ़ सरकारी मशीनरी पर निर्भर न रह कर, हम सबको अपने-अपने स्तर पर, मिलजुल कर ख़ुद भी प्रयास करना चाहिए। अमित आगे चलकर फ़ारबिसगंज और बिहार में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार के क्षेत्र मे कई और बड़े काम करना चाहते हैं, जिसके लिए उन्होंने प्रयास भी शुरु कर दिया है। फ़ारबिसगंज के इस 37 वर्षीय कर्मठ लाल की मिसाल वाकई कमाल है!

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