Balaknama। Newspaper by Kids | बालकनामा अखबार

Newspaper by Kids! A surprise! How can it be possible! But we know God helps those who help themselves.  Making this idiom a reality, Some Delhi street Children have shown this Kamaal. They are running their own newspaper by the name of ‘Balaknama’ for last twelve years! These street urchins are setting new trends and agenda in reporting and journalism industry! Naturally, child labour and related topics are usually the the subjects in ‘Balaknama’ in an eye-catching manner. This innovative initiative is now a truth and it is possible with the help of a social organization called ‘Chetna’!

लिखेंगे अपनी कहानी

बालकनामा विश्व का इकलौता मासिक अख़बार है, जो फ़ुटपाथ पर जीवन बसर करने वाले बच्चों (Street Chil-dren) के लिए निकाला जाता है। ये अख़बार भी, स्वयं बच्चे ही निकालते हैं। हमारे देश में ही, ग़रीबी और तंगहाली में रहने वाले लाखों ऐसे बच्चे हैं, जो बाल मज़दूरी करते हैं, समाज की मुख्यधारा से कटकर नशाख़ुरानी के शिकार हो जाते हैं, कई तरह के हिंसा के शिकार होते हैं और तिल-तिल कर जीते हैं। उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं होता। आम मीडिया में भी इनकी मूल समस्या को सही तरीके से जगह नहीं मिलती। इसलिए फ़ुटपाथी बच्चों के एक समूह ने ख़ुद एक ऐसा अख़बार निकालने का निश्चय किया, जिसमें उनके ही जैसे बच्चों की समस्याओं को उजागर करने वाली खबरें छप सकें।

चेतना नामक सामाजिक संस्था की मदद से, दिल्ली में ऐसे ही कुछ बच्चे मिलकर पिछले बारह सालों से इसे प्रकाशित कर रहे हैं और पत्रकारिता की नई परिभाषा गढ़ रहे हैं। इसी संस्था की ओर से इन्हें स्टाइपेन्ड, यानी कुछ आर्थिक सहायता भी मिलती है। साथ ही इनकी पढाई का खर्च भी यह संस्था ही उठाती है।

आज बालकनामा दिल्ली के अलावा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा से भी प्रकाशित होने लगा है; जहाँ इन्हीं के जैसे बाल पत्रकार जी जान से पत्रकारिता के सच्चे मिशन को अंजाम देने में जुटे हैं। फ़ुटपाथी बच्चों की पत्रकारिता का जुनून वाकई बेमिसाल है, कमाल है!

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