Dangal Mein Mangal । दंगल में मंगल
It is a Dangal. But none gets heart rather feel good. That’s why ‘Dangal mein Mangal’ is so Popular. Guru Hanuman Akhara is India’s first Kushti Academy or ‘Akhara’. It was established by Guru Hanuman in 1925. The ‘Akhara’ has its own glory to inspire the Indian wrestling aspirants! Despite all odds and hurdles, soil of this ‘Akhara’ has been relentlessly.
This Akhara is instrumental in grooming wrestlers like Dara Singh, Mahabali Satpal, Subhash Verma, Sushil Kumar, Rajeev Tomar etc. The aspirants in the orbit of this ‘Heaven of Wrestlers’ keep sweating at a stretch. Wrestlers are aiming at more and more medals. Their aim is in Commonwealth, Olympics and various other global championships.
कुछ ख़ास तो है इसकी मिट्टी में!
दिल्ली के शक्ति नगर स्थित गुरु हनुमान अखाड़ा देश का सर्वाधिक पुराना अखाड़ा है। यहां से कुश्ती के एक से एक धुरंधरों ने पहलवानी का गुर सीख कर पूरे विश्व में देश का नाम रौशन किया। भारत के प्रख्यात कुश्ती प्रशिक्षक और पहलवान पद्मश्री गुरु हनुमान ने इसकी स्थापना की। विश्व में भारतीय कुश्ती को महत्वपूर्ण स्थान दिलाना उनका मकसद था। सन् 1925 में स्थापित गुरु हनुमान अखाड़ा 1947 के बाद दिल्ली में पहलवानों का मन्दिर हो गया। भारत के मशहूर उद्योगपति कृष्ण कुमार बिड़ला ने इस अखाड़े की स्थापना के लिए गुरु हनुमान को ज़मीन देकर बड़ा योगदान दिया था।
इस अखाड़े से अकेले अब तक पहलवानी में 16 अर्जुन अवार्डी, 3 पद्मश्री अवार्डी, 6 द्रोणाचार्य अवार्डी और अनगिनत ओलंपियन्स निकले हैं। दारा सिंह, गुरु सतपाल, सुभाष वर्मा, विरेन्द्र सिंह, सुशील कुमार और विजय तोमर सहित दर्जनों पहलवान इसी अखाड़े की देन हैं। देश के ज्यादातर ओलंपियन पहलवानों के पहलवानी की पैदाइश भी यहीं हुई है।
गुरु हनुमान अखाड़े के पहलवान मानते हैं कि यहां की मिट्टी में जादू है, कमाल है। पहलवानी में राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर के सत्तान्वे (97) से ज्यादा अवार्ड विजेता यहां से जुड़े हैं। गुरु द्रोणाचार्य सम्मान से सम्मानित अखाड़े के कोच महासिंह राव पिछले पैंतीस सालों से यहां पहलवानों को तैयार कर रहे हैं।
राव का जोश और जज़्बा आज भी किसी युवा पहलवान से कम नहीं है। राव मानते हैं कि वो अभी भी कई ओलंपियंस और देश के सर्वश्रेष्ठ पहलवानों को इसी अखाड़े की मिट्टी से तराश कर निकालेंगे। गुरु हनुमान अखाड़ा में दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब सहित देश के सुदूर क्षेत्रों से यहां किशोरावस्था से ही लोग पहलवानी सीखने आते हैं। अखाड़ा परिसर में पहलवानों के लिए एक हॉस्टल भी है। यहां पूरे अनुशासन में रहकर पहलवान पहलवानी का गुर सीखते हैं। यहां पहलवानों को प्रशिक्षण मुफ़्त दिया जाता है।
क्रिकेट और दूसरे ग्लैमरस खेलों के मोह से मुक्त होकर इस अखाड़े में युवा पहलवान आते हैं। देश के पारंपरिक खेल कुश्ती के प्रति इनकी निष्ठा और रोमांच देखते ही बनता है। इस अखाड़े के पहलवान देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत होते हैं। पहलवानी सीखने के क्रम में वो पूरी तरह ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं।