सुदेवा : यहां जन्म ले रहे हैं फुटबॉल के भावी Superstar

काश! भारत की टीम भी फुटबॉल में विश्वकप खेल रही होती। 1.3 अरब आबादी वाले देश के पास यह क्षमता क्यों नहीं है। कोई मैराडोना, कोई मेसी, कोई पेले हिन्दुस्तान की जमीन पर क्यों नहीं पैदा हो सकता? हम क्यों नहीं खेल सकते विश्वकप? एक कशिश रह जाती है जब हम फीफा वर्ल्ड कप का मैच देख रहे होते हैं। करोड़ों भारतीय की इस भावना को समझा सुदेवा ने।

सु यानी अच्छा और देवा यानी गुरु

सुदेवा यानी एक ऐसी पहल, ऐसा सेंटर, ऐसा रेसिडेंशियल एकैडेमी, जहां भविष्य के 150 फुटबॉल खिलाड़ी हैं…जिनका सोना, जागना, पढ़ना, लिखना, खाना-पीना, प्रैक्टिस, मैच सबकुछ एक साथ होता है। हर उम्र के ये बच्चे देश के अलग-अलग हिस्सों से, अलग-अलग पृष्ठभूमि से हैं।

इन प्रतिभाओं में एक बात सबमें कॉमन है। सभी जुझारू हैं, फुटबॉल खेल के लिए समर्पित हैं और इनका लक्ष्य फुटबॉल खिलाड़ी बनकर देश की प्रतिष्ठा में चार चांद लगाना है। 150 खिलाड़ियों में 50 ऐसे हैं जो गरीब तबके से आते हैं। मगर, यह उनका अतीत है। आज उनका परिचय सुदेवा के संरक्षण में भविष्य की भारतीय फुटबॉल टीम के संभावित खिलाड़ी के तौर पर है।

पश्चिम में महाराष्ट्र और गुजरात से लेकर मध्य में मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ तक और उत्तर में जम्मू-कश्मीर से लेकर दक्षिण में केरल तक घूम-घूम कर सुदेवा ने फुटबॉल प्रतिभाओं को खोजा है और उन्हें तराशने का काम जारी है। 2016 से जारी यह कोशिश विगत 3 साल में कई उपलब्धियां सुदेवा अपने नाम जोड़ चुका है।

उपलब्धियां हैं सुदेवा के मेडल

  • U-17 FIFA World Cup 2017 के लिए ट्रेनिंग ग्राउंड उपलब्ध कराया
  • U-15/1617/19 में भारतीय टीम के 15 कैम्प लगाए
  • देश को शुभो जैसा फुटबॉलर दिया
  • भूपेंद्र सिंह और अशोक गहलौत ने शानदार खेल दिखाया   

सुदेवा एकेडमी के फुटबॉल ग्राउंड को अंडर 17 फीफा वर्ल्ड कप 2017 के दौरान ट्रेनिंग ग्राउंड के तौर पर इस्तेमाल किया गया।

अंडर 15, अंडर 16, अंडर 17 और अंडर 19 कैटेगरी में इंडियन टीम के 15 कैम्प लगाए गये हैं।

शुभो सुदेवा एकेडमी का वह खिलाड़ी है जिसे भारत की अंडर 15 नेशनल टीम में चुना गया।

भूपेंद्र सिंह और मोहित गहलौत फीफा अंडर 17 विश्व कप में भारतीय टीम का हिस्सा रहा।

नेपाल में हुए SAFF CUP 2018 में चीन के विरुद्ध शुभो ने सबसे ज्यादा गोल किए। अंडर 13 इंडियन लीग में शुभो ने 13 मैच में 58 गोल कर सबसे अधिक गोल करने का रिकॉर्ड बनाया। शुभो पश्चिम बंगाल के गरीब परिवार से है और उसकी मां घर-घर जाकर डोमेस्टिक हेल्प का काम करती है।

भूपेंद्र सिंह को सीबीएसई नैशनल 2017-18 सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी घोषित किया गया।उत्तराखण्ड का रहने वाला भूपिन्दर सिंह अभी स्पेन की सीडी ओलिम्पिक डी जाटिवा से जुड़ा है जो स्पेन मे टेरसेरा डिवीजन की ओर से खेलने वाली पहली टीम है।

सुदेवा एकेडमी में रह रहे खिलाड़ियों की पढ़ाई-लिखाई भी नियमित तरीके से होती है। दिल्ली के आसपास के स्कूलों में ये पढ़-लिख रहे हैं। सचिन झा और श्रवण भट दो ऐसे बच्चे हैं जो 2019 में मॉडर्न बीके से 82 फीसदी और 92 फीसदी नम्बर लेकर पास आउट होकर निकले हैं। साधारण घरेलू पृष्ठभूमि से आए दोनों बच्चे राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय फुटबॉल टीम के लिए खेल रहे हैं।

मॉडर्न स्कूल बीके और सालवान पब्लिक स्कूल जैसे टॉप के सीबीएसई स्कूलों में पढ़ने के साथ-साथ छात्रों को यहां अंतरराष्ट्रीय लाइसेंसदारी कोच से सीखने का अवसर मिलता है जिन्होंने दुनिया की बड़ी टीमों को कोचिंग दी है। एकेडमी में फिजियोथेरेपिस्ट, न्यूट्रिशनिस्ट, योगा टीचर सबकी सुविधाए हैं। विदेशी भाषा भी सिखाई जाती है। पढ़ाई के साथ-साथ खेल, पिकनिक और फिल्मों का आनन्द लेने का मौका भी बच्चों के पास होता है।

सुदेवा एकेडमी में जीवन अनुशासित भी है और सामूहिक जीवन का आनन्द भी यहां मिलता है। कोच की निगरानी में सुबह सवेरे अभ्यास होता है। फिर नाश्ते के बाद स्कूल। लंच साथ दे दिया जाता है। लौटकर आने पर दो घंटे का आराम और फिर प्रैक्टिस। प्रैक्टिस के बाद रात में पढ़ाई। इस रूटीन के बीच फन के मौके भी निकल ही आते हैं।

सुदेवा एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जो आई लीग में खिलाड़ियों को अवसर देता है। व्यक्तिगत मेधा के आधार पर स्टेट और नेशनल टीम के ट्रायल में भाग लेने का अवसर इन्हें मिलता है। स्पेन में दो महीने की ट्रेनिंग दी जाती है ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मौका मिल सके। फुटबॉल में टैलेंट के आधार पर ही इन बच्चों को प्रतिष्ठित स्कूलों में दाखिला मिल पाता है। ये इनकी प्रतिभा ही है जिस आधार पर दुनिया की पेशेवर टीम के साथ ये जुड़ पाते हैं।

फुटबॉल की प्रतिभाओं को खोजने का काम, उन्हें जिम्मेदारी से तराशने और एक खिलाड़ी के तौर पर मैदान में खड़ा करने का जो जिम्मा सुदेवा एकेडमी ने उठाया है, वह अनोखा है। इस कमाल की पहल के पीछे एक जज्बा है, खेल के प्रति समर्पिण है तो देश के लिए कुछ कर गुजरने की ऊंची और सच्ची भावना भी। लगन के साथ की जा रही ये पहल वाकई कमाल की है। सुदेवा के प्रयासों के लिए बरबस मुंह से निकल पड़ता है- कमाल है!

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