Quick Justice Without Courts Or Police
न पुलिस न अदालत, पर फ़ैसला फटाफट
देश में गुस्सा बढ़ रहा है। झगड़े बढ़ रहे हैं। ऊंची फीस, अदालत के चक्कर, पुलिस का डर और इन सबसे महत्वपूर्ण वक्त की बर्बादी ने आम लोगों की न्यायालय से दूरी बढ़ा दी है। मगर, इस दूरी की सबसे बड़ी वजह है अदालतों में ‘मुकदमों का ट्रैफिक जाम’।
वो पल देश नहीं भुला सकता जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर इसी ‘ट्रैफिक जाम’ का ज़िक्र करते-करते रो पड़े थे। आखिर वो बात क्या थी जिसने जस्टिस टीएस ठाकुर को रुला दिया? उनकी वेदना ट्रैफिक जाम से ज्यादा न्याय की उम्मीद में अन्याय सहती गरीब जनता की मुश्किलें थीं।
देश में सिर्फ दिल्ली में है ये मीडिएशन सेंटर, जिसकी सफलता और जिस पर लोगों के विश्वास की कहानी खुद आंकड़े भी कह रहे हैं।
यह औसत और बेहतर दिखेगा अगर हम ये देखते हैं कि दिल्ली में मौजूद 9 मीडिएशन सेंटर में छह ऐसे हैं जो 2010 में बने। एक तो 2014 में शुरू हुआ है। मीडिएशन सेंटर 40 फीसदी से ज्यादा मामलों को हल करने में सफल रहा है। यह आंकड़ा अदालतों में हिन्दू मैरेज एक्ट 1956 के तहत पति-पत्नी के विवाद सुलझाने में अदालतों से बेहतर है जहां 1 लाख में 50 मामले ही सुलझ पाते हैं।
मीडिएशन सेंटर में मध्यस्थ कोई फैसला नहीं देते। वह किसी पक्ष पर फैसला थोपते नहीं हैं। बल्कि एक वातावरण बनाते हैं जिसमें सुलह का एक सम्मानजनक तरीका निकल आए। सुलह में किसी की जीत नहीं होती, कोई हारा हुआ महसूस नहीं करता। दोनों पक्ष झुकते भी हैं मगर झुकाव ऐसा होता है कि टूटते नहीं, बल्कि फिर पहले की तरह सम्मानजनकर तरीके से खड़े हो जाते हैं।
मीडिएशन सेंटर प्रशिक्षित वार्ताकारों और अधिकारियों के निरीक्षण में होता है इसलिए पेनकिलर की तरह होते हैं। यहां आने वालों का दुख-दर्द हर लेते हैं। दोनों पक्ष यहां आकर सीधे अपनी बात रखते हैं, कोई औपचारिकता नहीं होती। न गोपनीयता का बंधन होता है और न ही किसी बात के बैक फायर होने का डर। चूकि दोनों पक्ष खुद समाधान ढूंढ़ते हैं इसलिए वे अधिक संतुष्ट होते हैं।
सुलह का आधार बेहतर भविष्य होता है न कि किसी का सही या गलत होना। अदालती पचड़ों में पड़ने से लोग बच जाते हैं। इससे समय, ऊर्जा, पैसा और आपसी संबंध- सबकुछ बच जाता है। दोनों पक्ष चूकि विन-विन पोजिशन में खुद को महसूस करते हैं इसलिए इस सुलह से सद्भावना भी बढ़ती है। यही वजह है कि बीतते समय के साथ-साथ इसकी विश्वसनीयता और उपयोगिता बढ़ती चली जा रही है। मीडिएशन सेंटर आने वाले इस मायने में फायदे में रहते हैं कि उनके दरम्यान कटुता का अतीत ख़त्म हो जाता है। सुलह हमेशा मिठास लेकर आती है।