Patna Sahib । पटना साहिब

Takht Sri Patna Sahib or simply Patna Sahib. One of the holiest shrines of Sikh community is this one that is known as the birth place of Guru Govind Singh. He was tenth guru of Sikhs who was born here in 350 years ago.

Guru Nanak the first Guru as well as Guru Tegh Bahadur also liked this place very much! In fact, this sacred place finds special mention in ‘Dasham Granth’ written by the tenth Guru.

300 साल पुराना गुरुद्वारा

पंजाब के साथ-साथ, सिखों का बिहार से भी नज़दीकी नाता है।  बिहार की राजधानी पटना में स्थित है पटना साहिब। यह पूरे विश्व भर के सिखों के लिए श्रद्धा का केन्द्र है।

सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी का न सिर्फ पटना की पावन भूमि में जन्म हुआ था बल्कि उनका बचपन भी यहीं गुज़रा था। सिखों के सबसे पवित्र स्थानों में से एक और सिख धर्म के पांच प्रमुख तख्तों में दूसरा, तख्त़ श्री पटना साहिब है।

यही नहीं, सिखों के तीन अन्य गुरुओं के चरण भी इस धरती पर पड़े हैं। तख्त़ श्री पटना साहिब, गुरु गोविंद सिंह की याद में बनाया गया है, जहाँ उनके कई स्मृति चिह्न आज भी श्रद्धालुओं की आस्था से जुड़े हैं।

पटना साहिब गुरुद्वारे का निर्माण करीब 300 साल पहले, 18 वीं शताब्दी में किया गया था। कभी आग, तो कभी भूकंप की वजह से इसका काफी नुकसान होता रहा। महाराजा रणजीत सिंह ने 1837 से 1839 के बीच इस गुरुद्वारे का जीर्णोद्धार करवाया। उस समय तक इसे सालसराय हवेली के रूप में जाना जाता था।

काफ़ी समय तक पटना साहिब की देखरेख महंतों के हाथों में रही। देश की आज़ादी के बाद, साल 1952 में एक समिति की निगरानी में इसे मौजूदा भव्य रूप दिया गया।

कहा जाता है कि गुरु गोविंद सिंह जी महाराज ने ही पटना शहर का नाम पटना रखा। इससे पहले इसे विशंभरपुर और पाटलीपुत्र के नाम से जाना जाता था।

पटना साहिब में हर धर्म के लोग माथा टेकने आते है और लंगर में प्रसाद पाते हैं। शायद पटना की मिट्टी में ही कुछ ख़ास है, तभी तो सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने इस मिट्टी का जिक्र, अपनी रचना दशमग्रंथ में किया है।

गुरु गोविन्द सिंह ने लिखा है- “तही प्रकाश हमारा भयो, पटना शहर बिखै भव लयो”। इसी साल 2017 में, गुरू गोविंद सिंह जी महाराज के जन्म की 350 वीं सालगिरह, प्रकाश-पर्व के रूप में पटना में, बड़ी धूमधाम से मनायी गयी।

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